Thursday, August 03, 2006

My second poem

Poem-2:
Created: 27 July 2006

हर दर्द बुरा नहीं होता ,

हर मंजिल आसान नहीं होती .


जीवन की राह कठिन है बड़ी ,

पर तुम जैसा हमसफ़र मिले ना जिसे

उसका सफ़र सुहाना नहीं होता .



यूं तो लोग मिलते -बिछड़ते है हर रोज यहाँ ,

पर हर मुलाक़ात हसीं हो , ऐसा समां हमेशा नहीं होता



लोग साथ रहकर भी हैं कितने तन्हा ,

पर इक याद भर से ही जो दूरियाँ मिटा दे ,

ऐसा दोस्त हर किसी के पास नहीं होता .



शुक्रगुजार हूँ मैं उस खुदा का , जिसने मुझे तुमसे मिलाया
आख़िर , तुम जैसा प्यारा साथी हर किसी को नसीब नहीं होता .