सोचता हूँ कि क्या लिखू इस ख़त में तुम्हे ;
कि कुछ लिखने से पहले , दिल कि बात तुम तक पहुच जाती है .
दिल में जो छिपे हुए थे जो अरमान ,
जाने क्यों उनकी पूरे होने की आस जगने लगी है .
तू जितनी दूर है मुझसे , पर फिर भी दिल के पास लगती है
ना जाने क्या हो
जिधर देखो तू ही तू नज़र आती है
इस दुनिया मैं अनगिनत लोग हैं ,
पर मुझे सिर्फ तू ही क्यों अपनी लगती है .
परवाह नहीं मुझे इस जमाने के कहने सुनने की ,
बस तू साथ ना छोड़ना , यहीं गुज़ारिश है
तू अगर मेरे साथ है , तो कोई गम नहीं ,
और अगर तू नहीं , तो फिर कुछ भी नहीं है
सोचता था बहुत देख ली जिंदगी मैंने ,
तुझे देख के लगा की आज जिंदगी से मुलाक़ात हो गयी है .
इतना प्यार जो पा रह हू तुमसे , सोचता हूँ की क्या इस प्यार के काबिल ये शक्श है ,
(So much love that I am getting from you, do I deserve that much love
Then I feel happy by thinking that the person giving love is also an image of mine)